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ससुरा से निक नइहरवा बा / सुभाष चंद "रसिया"
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छोड़ी के हमके सैया रहिला बहरवा।
ससुरा से निक हमके बाटे नइहरवा॥
सास-ननद हमके मारत तारी ताना।
कुलटा कुलच्छनी बनावेली रोजाना।
काटे धावे हमरा के घरवा दुवारवा॥
ससुरा से निक हमके बाटे नइहरवा॥
कवनी कसूर खातिर होता दूरगतिया।
रोवते बीतत बाटे दिनवा आ रतिया।
एकरा निमन हमके देई दी जहरवा॥
ससुरा निक हमके बाटे नइहरवा॥
कइसे भुलाई गइली हमरा के सैया।
जीवन के पार होई कैसेके नईया।
रउरा के देखे बदे तरसे हियरवा॥
ससुरा निक हमके बाटे नइहरवा॥
रहिया देखत पथरा गइल अखियाँ।
जियल मोहाल भईल हमरा के सखिया।
"रसिया" जी लौट अइती जल्दी से घरवा॥
ससुरा से निक हमके बाटे नइहरवा॥