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सह तो पाए जफ़ाएं तुम्हारी / मेला राम 'वफ़ा'
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सह तो पाए जफ़ाएं तुम्हारी
ग़ैर औ ले बलाएं तुम्हारी
तुम न लो आइने की बलाएं
आओ हम लें बलाएं तुम्हारी
चैन खो बैठे हम उम्र भर का
ले के दम भर बलाएं तुम्हारी
उम्र गुज़री इसी आरज़ू में
उम्र भर लें बलाएं तुम्हारी
कुछ परेशां हैं गेसू तुम्हारे
किस ने ली हैं बलाएं तुम्हारी
ता-क़ियामत न ये ख़्वाब टूटे
ले रहा हूँ बलाएं तुम्हारी
शेर गाए हैं लय में 'वफ़ा' के
यूँ भी ली हैं बलाएं तुम्हारी।