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सहेली / जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
Kavita Kosh से
रचनाकार: ?? |
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा, उस दिल को कभी का तोड़ दिया
बदनाम न होने देंगे तुझे, तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया
तू औरों का कोई और तेरा, दुनिया में हम क्यों जिंदा हैं
हम बन कर क्यों दीवार रहे, ये सोच के हम शर्मिंदा हैं
दर कोई खुले न खुले अब, तेरी राहों को हमने छोड़ दिया..
हम प्यार में थे नादान बहुत ,कुछ करना था कुछ कर बैठे
वो फूल था और के जूडे का, हम जिस से दामन भर बैठे
हम ने ख़ुद अपनी बहारों का, विरानो से रिश्ता जोड़ दिया ...