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साँच-तीन / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
जरूरी नीं
कै जिकौ दीखै
बौइज हुवै साँच
जिकौ नीं दीखै
बौ’ भी हुय सकै
साँच
पण
कुण जाणणौ चावै
साँच
स्यात
आजकालै साँच नै आवै
आँच।