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साँसों की डोर / उमेश चौहान

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साँसों की डोर

सारे सन्दर्भो के बीच
सबसे निराला है
तुम्हारा संदर्भ

सारे संसर्गों के बीच
सबसे प्यारा है
तुम्हारा संसर्ग

सारी स्मृतियों के बीच
सबसे घनीभूत है
तम्हारी स्मृति

तुम्हारी चन्द्रिम अजास में
समा जाता है
खुले आकाश के
अनगिनत सितारां का उजाला

तुमसे मिलने की
आस ही तो बाँधे है
टूटकर बिखर जाने को आकुल
मेरे जीवन की साँसों की डोर को!