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साखी / कन्हैया लाल सेठिया
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किस्यै
खिण में
पड़सी
किण रै
गरभ में
बीज
करै
इण रो
निरणै
जीव रा
संसकार,
हुसी
हूण रो साखी
बो अदीठ काळ
जको
कोनी घटण दै
कोई अणहूणी !