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सागो / निशान्त
Kavita Kosh से
अेक सूं
दो भलां आळी
कैवत
लागू हुवै
छोटी-छोटी
चिन्तावां अर
दुखां माथै ईज
जद अेक आवै
तो दूजो
खुदो-खुद
मांदो पड़ ज्यावै।