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साथी अगर सलाह दे / हरिवंश प्रभात

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साथी अगर सलाह दे तो मान जाइए।
लेकर मुहब्बतों के ही अवदान जाइए।

पत्नी से यूँ उलझने की भूल न करें,
तूफ़ान आ भी जाएगा यह जान जाइए।

ग़म से निज़ात उसको मिली है यहाँ ज़रूर,
चेहरा जो ख़ुशनुमा है तो पहचान जाइए।

ईश्वर ने यादगार हमें पल जो है दिया,
अब यार के यहाँ भी तो मेहमान जाइए।

वादा भी कर सके नहीं मिलना है फिर कहाँ,
ख़्वाबों में फिर मिलेंगे ऐ भगवान जाइए।