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सारी दुनिया देख रही हैरानी से / आदिल रशीद
Kavita Kosh से
सारी दुनिया देख रही हैरानी से
हम भी हुए हैं इक गुड़िया जापानी से
बाँट दिए बच्चों में वो सारे नुस्खे
माँ ने जो भी कुछ सीखे थे नानी से
ढूंढ़ के ला दो वो मेरे बचपन के दिन
जिन मे सपने हैं कुछ धानी-धानी से
प्रीतम से तुम पहले पानी मत पीना
ये मैं ने सीखा है राजस्थानी से
मै ने कहा था प्यार के चक्कर में मत पड़
बाज़ कहाँ आता है दिल मनमानी से
बिन तेरे मैं कितना उजड़ा -उजड़ा हूँ
दरिया की पहचान फ़क़त है पानी से
मुझ से बिछड़ के मर तो नहीं जाओगे तुम
कह तो दिया ये तुमने बड़ी आसानी से
पिछली रात को सपने मे कौन आया था
महक रहे हो आदिल रात की रानी से