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सार्थकता / आहत युग / महेन्द्र भटनागर

जिस दिन
मानव-मानव से प्यार करेगा,
हर भेद-भाव से
ऊपर उठ कर,
भूल
अपरिचित-परिचित का अन्तर
सबका स्वागत-सत्कार करेगा,
पूरा होगा
उस दिन सपना !
विश्व लगेगा
उस दिन अपना !