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सावण-फागण / लक्ष्मीनारायण रंगा
Kavita Kosh से
रंग रमण रै
चाव सूं
गैरियो-अकास,
घोळ राख्या है
रंग-रंगीला
बादळी-कड़ाव,
पून री पिचकारयां सूं
बौछारा री धारां सूं
रंग बरसै
धरती गणगोर पर
रंग री राणी
धरती धिराणी
उडा री है
सतरंगी गुलाल
चारूं पासी‘क
सावण में
सांतरी होळी मची
रंग-रस रूप रची।