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सावन के बादलो! / रतन
Kavita Kosh से
सावन के बादलो! उनसे ये जा कहो'
तक़दीर मं यही था, साजन मेरे न रो।
घनघोर घटाओ! मत झूम के आओ
याद उनकी सताएगी, रूमझुम यहाँ न हो।।
जिस दिन से जुदा हम हैं, आँखें मेरी पुरनम हैं।
रो-रो के मैं मर जाऊँ, दुख तेरी बला को।। सावन के बादलो...
छेड़ो न हमें आके, बरसो कहीं और जाके, बरसो कहीं और जाके।
वो दिन न रहे अपने, रातें न रहीं वो। सावन के बादलो...