भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
साहित्यिक दोस्त / कमल जीत चौधरी
Kavita Kosh से
मेरे दोस्त अपनी
उपस्थिति दर्ज करवाना चाहते हैं
वे गले में काठ की घण्टियाँ बान्धते हैं
उन्हें आर-पार देखने की आदत है
वे शीशे के घरों में रहते हैं
पत्थरों से डरते हैं
काँच की लड़कियों से प्रेम करते हैं
बम पर बैठ कर
वे फूल पर कविताएँ लिखते हैं
काव्य गोष्ठिओं में खूब हँसते हैं
शराबख़ानों में गम्भीर हो जाते हैं
यह भी उनकी कला है
अपनी मोम की जेबों में
वे आग रखते हैं