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सिगरेट और खाली डिबिया / सुशील मानव

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    (क)
लड़की की स्कर्ट से
कितना मेल खाती है ये शाम
आसमान भी घूमने निकला है
लड़के के शर्ट सा शर्ट पहनकर
कि पिछले ही हफ्ते खरीदी है दोनों ने
आज के दिन पहनकर एक-दूजे को रिझाने के लिए
एक दूजे की नजरों में सिगरेट सा फँसे
अंगार हो रहे दोनों राख भी
कि सिगरेट की एक खाली डिब्बी आज इनकी तलाश में है
 
   (ख)
मैक्डोनाल्ड के रेस्टोरेंट में
आमने सामने की सीट पर बैठ
एकदूजे को खिला रहे हैं आइसक्रीम
जुठार जुठारकर
बीच बीच में जुड़ जाते हैं दोनों के होंठ
मेज के ऊपर से
मेज के नीचे
पाँवों में पाँवों की लंगी लगी है
बीच में फँसा है बेचारा मेज
दुनियादारी की तरह
कि उनके करतूतों से खिसियाया रेस्टोरेंट मैनेजर
देता है वार्निंग बीच में फँसे टेबल की तरह
कि बंद करो ये लपर-झपर
कि अब फिर किए ये सब तो
फौरन बुलाऊँगा पुलिस
और फिर निकल जाते हैं दोनों
बाहर, जलते हुए सिगरेट की मानिंद
पीछे रह गया रेस्टोरेंट
सिगरेट के खाली डिब्बे की तरह
मेज पर रखी कटोरी में पिघल रही है आइसक्रीम
एक दूजे में लिपटे
नंगे पड़े हैं दो जूंठे चम्मच
बाकी रह गए अरमानों की तरह

  (ग)
बिल्कुल सँटकर बैठे हैं दोनो
रिक्शे पे जाँघ पे जाँघ चढ़ाए
लड़के का हाथ लड़की के कंधे से होते हुए पहुंच रहा है स्तनों तक
नैतिकता के पेंचोख़म से खीझा लड़का
दबा रहा पुरजोर उसका स्तन
ज्यों मर्यादा की जान बसी हो उसमें
लड़की कुरेद रही है लड़के की जाँघ
दुनिया की जख़्मों पर पड़ी पपड़ी की मानिंद
लड़का उठाता है अपनी नज़र
भरनज़र लड़की को देखने के लिए
ठीक तभी लड़की मारती है आँख और शरमाकर नजरें झुका लेता है लड़का
लड़की लपककर भिड़ा देती है लड़के के होठों से होठ
और मूँद लेते हैं दोनों अपनी -अपनी आखें
रिक्शे वाला साइड मिरर से देखता जाता है चुपचाप सब
कि चौराहे की ट्रैफिक रोक देती ही रिक्शे की गति
रिक्शेवाला कहता है बाबूजी लोग देख रहे हैं
चौराहे पर बाबस्ता सैंकड़ों नज़रें
उन्हें रोक रहीं घूर घूरकर वैसा करने से
अधजले सिगरेट सा दोनों फिर समेट लेते हैं अपने होंठ
खंजरी नज़रे छूट जाती हैं पीछे सिगरेट के खाली डिब्बे की तरह
 
(घ)
बैठे हैं दोनों मंदिर में
हाथ जोड़े, शीश नवाए, घुटनों पे
प्रार्थना के ताईं जब जब मूँदते हैं वो आँखें
बंद आंखों में एक दूजे का ही चेहरा दिखाई देता है
पुजारी देता है जब दोनों के हाथों में प्रसाद के फूल
 चूमकर वो फूल खोंस देता है लड़का लड़की के जूड़े में
लड़की चूमकर अपने हाथ का फूल रख देती है लड़के की मुट्ठी में
लड़का याचक नजरों से देखता है लड़की की ओर
जल उठती है प्रेम ज्योति
यूं बाती सी बरर जाती है लड़की लड़के संग आलिंगन में
प्रेम के प्रकाश में काँपने लगते हैं क्रुद्ध पुजारी
हटो, भागो ओ पापियों
कि अपवित्र कर दिया तुम दोनों ने भगवान का घर
आस्था के चैनस्मोकरों ने उठा फेंका मंदिर के बाहर
दोनों को, बुझे हुए सिगरेट की तरफ
पीछे रह गए भगवान और उनका मंदिर
सिगरेट की खाली पैकेट की तरह
(ङ)
लड़का लड़की बैठें हैं
एक पार्क में झाड़ियों के पीछे
एक लंबी कश की तरह एक दूजे को अपने भीतर ज़ज़्ब कर लेने की खातिर
कि हिल उठती हैं तभी मदमस्त हुई झाड़ियां
हर फूँक में दहक उठता लड़का
धुएं के छल्ले सा सीत्कार छोड़ती लड़की
कि लाज लिहाज तक न किए संस्कृति की दुहाई देने वाले
और संस्कृति का दुईहथा शिश्न लिए
 दनदनाते जा घुसे झाड़ियों में
और खींच लाए दोनों को झाड़ियों के बाहर
वहां क्योंकर न कोई बाल्मीकि हुआ
जो शरापता प्रेमीजोडों को विलगाने वाले उन शिकारियों को
कि कितनी बेदर्दी से फेंककर कुचल दिया उन्होंने
खत्म हुए सिगरेट की तरह
पीछे छूटी रही संस्कृति
बेकार की खाली डिबिया की तरह

    (च)
ये हवा जो इतनी थकान लिए भटक रही
शायद ये उन दो साँसों की कैद से भागी है
किसी सिगरेट की डिब्बी में बैठकर तनिक सुस्ता तो ले ये
कि दो जवाँ साँसें फिर इनकी तलाश में हैं
उनके पास माचिस नहीं है शायद
कि फिर रखे हैं लड़की ने लड़के के होठों पे होंठ
सिगरेट पे रख जलाते सिगरेट की तरह
(छ)
एक काली बाइक आ रुकी गली के मुहाने पे
पीछे सीट से उतरी लड़की
लड़के ने बाइक पे बैठे बैठे ही उतारा सिर से हेलमेट
फिर एंड़ी उठाकर बिल्कुल पंजो पर तनेन होकर
लड़की ने उसके होंठों की बोसागोई की
और फिर एक बार भी बिना पलटे देखे
बेतहासा बदहवास सी भागी गली में
लड़के ने बाइक स्टार्ट की और रात के हरे पत्तों में तोता हो गया
पीछे छूट गया समाज और उसकी कुत्सित मर्यादाएं
फ्लैटों के बार्जे से उँगली दिखाते हुए
खाली और नंगे
सिगरेट के खाली डब्बे की तरह