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सिन्दूर / अविनाश मिश्र
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क्या वह बता सकता था
कि अब तुम मेरी नहीं रहीं
लेकिन उसने ही बताया
जब तुम मिलीं बहुत बरस बाद
और वह तुम्हारे साथ नहीं था