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सिलसिला. / केशव

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सुबह
जागती है
अखबार वाले की आवाज़ से
कारख़ाने के भोंपूसेशुरू होता
दिन
दोपहर
थूकती हैकाली चाय-सा
फाइलों का इतिहास
सस्ते चायघरों में
शाम फैंकती है
फालतू कागज़ों की तरह
कुछ मुस्कानें
और अचानक पत्नि के चेहरे से टकराता है
सिगरेट का खाली पैक़ेट
कोलतार-सी रातन्योन राशियों में
करती है गर्भ धारण
और गिरा देती है
अपने गर्भ सेफिर
वही आदमीचलने के लिएसड़कों पर
हैडलाईटस की तरह