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सीढ़ी के ऊपर से / ज़्बीग्न्येव हेर्बेर्त / उज्ज्वल भट्टाचार्य द्वारा

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बेशक
वे जो सीढ़ी के बिल्कुल ऊपर खड़े हैं
उन्हें पता है
कि उन्हें सबकुछ पता है

हमारी बात अलग है
सड़क पर झाड़ू लगाने वाले
एक बेहतर भविष्य के बन्धुए
वे जो सीढ़ी के ऊपर खड़े हैं
हमारे सामने बिरले ही आते हैं
और उनकी एक उँगली होंठों पर ख़ामोश होने को कहती है

हमें सब्र करना होता है
हमारी बीवियाँ इतवार की कमीज़ रफ़ू करती हैं
हम राशन के बारे में बात करते हैं
जूते की क़ीमत के बारे में
और इतवार को सिर पीछे टिकाकर
हम पीते रहते हैं

हम उनमें से नहीं हैं
जो मुट्ठियाँ बान्धते हैं
ज़ंजीरें घुमाते हैं
बोलते हैं और सवाल करते हैं
तैश में आकर
बग़ावत के लिए उकसाते हैं
बोले जाते हैं और सवाल किए जाते हैं

उनकी परीकथा ऐसी होती है —
हम सीढ़ियों के ऊपर चढ़ेंगे
उन पर धावा बोलेंगे
और जो ऊपर खड़े हैं उनके सिर
सीढ़ियों से लुढ़केंगे
और फिर हम देख पाएँगे
ऊपर से जो कुछ दिखता है
कैसा भविष्य
दूर तक कैसा दृश्य

हमें देखने नहीं हैं
लुढ़कते हुए सिर
हमें पता है कितनी तेज़ी से नए सिर बन जाते हैं
और वहाँ ऊपर हमेशा रहेंगे
एक या फिर तीन
जबकि यहाँ नीचे झाड़ू और बेलचे से सबकुछ काला नज़र आता है

कभी-कभी हम सपने देखते हैं
वे जो सीढ़ी के ऊपर हैं
नीचे उतर आएँगे
हमारे बीच
और जब हम अख़बार पर रखी रोटी चबाएँगे
वे हमसे कहेंगे

— आओ, अब बात करते हैं
इनसान से इनसान की तरह
पोस्टरों में जो होता है वह सच नहीं है
सच्चाई हमारी ज़ुबान में बन्द है
यह इतनी जानलेवा है
इसलिए हम उसका बोझ ढोते हैं
हम ख़ुश नहीं है
हम तो चाव से
यहाँ नीचे होते

ज़ाहिर है कि ये सपने हैं
वे सच हो सकते हैं
नहीं भी हो सकते हैं
इसलिए हम
काम करते रहेंगे
धूल के बीच
पत्थरों के ऊपर

हमारे सिर हल्के होंगे
कान के पीछे सिगरेट खोंसी होगी
और दिल में कोई उम्मीद नहीं होगी

अँग्रेज़ी से अनुवाद : उज्ज्वल भट्टाचार्य