भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुंदर का पाया है मधुर आशीर्वाद / रवीन्द्रनाथ ठाकुर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मुखपृष्ठ  » रचनाकारों की सूची  » रचनाकार: रवीन्द्रनाथ ठाकुर  » सुंदर का पाया है मधुर आशीर्वाद

इस जीवन में सुंदर का पाया है मधुर आशीर्वाद
मनुष्य के प्रीति-पात्र पता हूँ उन्हीं की सुधा का आस्वाद
दुस्सह दुःख के दिनों में
अक्षत अपराजित आत्मा को पहचान लिया मैंने.
आसन्न मृत्यु की छाया का जिस दिन अनुभव किया
भय के हाथों उस दिन दुर्बल पराजय नहीं हुई .
महत्तम मनुष्यों के स्पर्श से वंचित नहीं हुआ
उनकी अमृत वाणी को मैंने अपने ह्रदय में संजोया है .
जीवन में जीवन के विधाता का जो दाक्षिण्य पाया है
कृतज्ञ मन में उसी की स्मरण-लिपि रख ली.

२८ जनवरी १९४१