भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुकवि की मुश्किल / रघुवीर सहाय

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

ये और आया है एक हल्ला, जो बच सकें तो कहो कि बचिए
जो बच न पायें तो क्या करूँ मैं, जो बच गये तो बहुत समझिए
सुकवि की मुश्किल को कौन समझे, सुकवि की मुश्किल सुकवि की मुश्किल
किसी ने उनसे नहीं कहा था कि आइए आप काव्य रचिए ।

(1959)