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सुनो नदी / नूपुर अशोक
Kavita Kosh से
नदी तुम यूँ ही बहती रहना
नदी तुम कभी भी कुछ मत कहना
नदी तुम नहीं हो सिर्फ नदी,
तुम्हें कहा है हमने 'माँ'
माँ की तरह तुम सब कुछ सहना
नदी तुम कभी भी कुछ मत कहना
बूँद-बूँद मरना
बस पाप हरना
खबरदार, एक शब्द न कहना
देवी हो तुम, चुप ही रहना
चुपचाप यूँ ही बहती रहना
नदी, तुम कभी भी कुछ मत कहना।