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सुबह होगी क़रीब / सुभाष राय

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अन्धेरा बहुत गहरा हो
तो समझना सुबह क़रीब है
दुख जब भी आए, घबराना नही
सुख पास ही खड़ा होगा कहीं

चलते रहो तब भी जब रास्ता न सूझे
अन्धेरा ही फूटेगा बनकर उजास
मँज़िल चलकर आएगी तुम्हारे पास