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सुभाव / संजय आचार्य वरुण

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‘जलम देय’र
बडौ करणौ
अर फेर काट देवणौ
या किचरणौ
मिनख रौ
ओ ई सुभाव
उण ने बणावै
सै जीवां सूं अळगौ’

बाग री नान्ही दूब
रोवती, गरळांवती
इतरौ कैयौ ई’ज हौ के
अचाणचक
एक पग
उण रौ कचरौ काढ़
आगै बधग्यो
दूब बापड़ी
अबै नीं रैयी
रोवण जोगी भी।