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सुरंग / रॉबर्ट क्रीली
Kavita Kosh से
आज रात, कुछ भी बहुत लम्बा नहीं --
समय नहीं ।
अगर कहीं आग होगी,
अभी जल उठेगी ।
अगर कहीं स्वर्ग होता,
मैं कब का चला गया होता ।
मुझे लगता है कि प्रकाश
ही अन्तिम बिम्ब है ।
लेकिन समय दुबारा घटता है,
प्रेम -- और एक गूँज ।
एक वक़्त गुज़ार देता है
प्रेम को अन्धकार में ।