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सुरजन की कथनी / सुरजन परोही
Kavita Kosh से
हम कहाँ पर थे
कहाँ पर हैं
और कहाँ जाना चाहते हैं
याद दिलाता है वह इतिहास
जो भारत माता गुरु के नाम से
जाना जाता था
सारा संसार उससे
शिक्षा पाता था
उनकी ही औलाद
जाकर बसी परदेसों में
सब कुछ साथ ले गए
सँभाल न सका
हम गिरे उसे भी घिरा दिए
खो जाने के बाद
याद आती है
हमें कहाँ जाना है
कैसे बचाना है
उन जड़ों को
फिर से सींचा
जो साल पहले था
आज भी है
उसे जिन्दा रखा
फिर छाया मिलेगी
फल मिलेगा
और उन फलों के बीज से
हम अपना बाग फिर सजाएँगे।