भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सुरत सुखद सम अति अरसाने अँग / राजहँस

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सुरत सुखद सम अति अरसाने अँग ,
आनन अनूप सोनजूही छवि छावै है ।
अमल रसाल सम युगल उरोज पर ,
अधिक अधिक स्यामताई सरसावै है ।
राजहँस नित निज रूपहिँ बढ़ाय लँक ,
तन मन बैन की चपलता हटावै है ।
रवि छवि वारी वर उषा सी रुचिर बाल ,
गरभ समेत प्यारी काको न सुहावै है ।


राजहँस का यह दुर्लभ छन्द श्री राजुल मेहरोत्रा के संग्रह से उपलब्ध हुआ है।