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सुरालय हो मेरा संसार / सुमित्रानंदन पंत
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सुरालय हो मेरा संसार,
सुरा-सुरभित उर के उद्गार!
सुरा ही प्रिय सहचरि सुकुमार,
सुरा, लज्जारुण मुख साकार!
उमर को नहीं स्वर्ग की चाह,
सुरा में भरा स्वर्ग का सार!
सुरालय राह स्वर्ग की राह,
सुरालय द्वार स्वर्ग का द्वार!