सुलतान / निज़ार क़ब्बानी / विनोद दास
अगर मुझे पता हो कि मेरी जान बख़्श दी जाएगी
और मैं सुलतान से मिल सकता हूँ
तो मैं उनसे कहूँगा
मेरे हुज़ूर सुलतान !
तुम्हारे ख़ूंखार कुत्त्तों ने मेरे कपड़े फाड़कर तार-तार कर दिए हैं
तुम्हारे जासूस मेरा पीछा करते हैं
उनकी आँखें मेरा पीछा करती हैं
उनकी नाक मुझे सूँघती रहती है
उनके पांव मेरा पीछा करते हैं
वे मेरी बीवी से हिरासत में लेकर पूछताछ करते हैं
मेरे दोस्तों के नाम लिख कर रखते हैं
हुज़ूर सुलतान !
जब मैं तुम्हारी बहरी दीवार के क़रीब आता हूँ
और अपना दुख-दर्द बयान करता हूँ
तो तुम्हारे सिपाही मुझे अपने बूटों से पीटते हैं
मुझसे मेरे जूते जबरदस्ती चटवाते हैं
सुलतान !
तुम दो जंग हार चुके हो
सुलतान !
चूँकि हमारे आधे लोगों के पास जीभ नहीं है
बिना जीभ के आदमी का क्या मतलब
हमारे आधे लोग दीवारों के बीच फंसे
चीटियों और चूहों की तरह हैं
अगर मुझे पता हो कि मेरी जान बख़्श दी जाएगी
तो मैं कहूँगा
तुम दो जंग हार चुके हो
बच्चों का स्पर्श तुम खो चुके हो
अँग्रेज़ी से अनुवाद : विनोद दास