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सुसराल पणै मैं चाल पड़ा रे / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
सुसराल पणै मैं चाल पड़ा रे छोरा साइकल त्यार कर के
ओले हाथ कै घड़ी बांध रह्या टेढा साफा धर कै
गाम गोठ जद पहुंच लिया छोटा साला मिल गया
जद साले नै करी नमस्ते साइकल नोहरै मैं डाट लिया
सांझ होई जद दिया चासण नाई का आया
चाल बटेऊ चालिए कुछ भोजन सा खाया
थाली पै बैठ कै जद जीमण भी लाग्या
चारों तरफ लखा कै मैं तो चुपका सा हो गया
जद मन्ने लेण का जिकर कर्या मेरी सासू नाट गी
दूर ढाल की बाल उस नै सोच के कही
थाली पै तै उठ कै मैं नौहरै मैं आया
मन मैं करू विचार भगवान तेरी अपरमपार माया
घाल दे ओ साला घाल दे तेरी बहन खजानी नै
नौकर छोड़ डिगर जा गां इस भरी जवानी मैं
ले जा हो जीजा लेजा हो मेरी बहिन खजानी नै
नौकर मत ना जाइये इस भरी जवानी मैं