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सुहाग बरसे बन्नी तेरे अँगनवा / हिन्दी लोकगीत
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♦ रचनाकार: अज्ञात
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सुहाग बरसे बन्नी तेरे अँगनवा- २
दादी के आँगन सुहाग बन्नी मांगे
अमर रहे बन्नी तेरो सिंदुरवा
सुहाग बरसे बन्नी तेरे अँगनवा- २
बुआ के आँगन सुहाग बन्नी मांगे
अमर रहे बन्नी तेरो कंगनवा
सुहाग बरसे बन्नी तेरे अँगनवा- २
भाभी के आँगन सुहाग बन्नी मांगे
अमर रहे बन्नी तेरी चुनरियां
सुहाग बरसे बन्नी तेरे अँगनवा- २
मौसी के आँगन सुहाग बन्नी मांगे
अमर रहे बन्नी तेरो बिछुवा
सुहाग बरसे बन्नी तेरे अँगनवा- २
दीदी के आँगन सुहाग बन्नी मांगे
अमर रहे बन्नी तेरो सजनवा