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सूरज / ॠतुप्रिया
Kavita Kosh से
सूरज जी नै
अडीकै
थूं
जद बै करै
जग च्यानणौ
तद
जावै थूं काम सारू
अर अंधारै सूं पैली
पूगै घरां
थूं
म्हारौ सूरज
थां सूं हुवै
घर च्यानणौ।