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सूरज थकने के संग-१ / सरोज परमार
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एक सूरज के थकने के संग
कितना कुछ थक गया.
थक गईं चिड़ियाँ
थक गईं लड़कियाँ
जुगाली पड़ी गैया.
थम गई चहल-पहल
थम गई हलचल
चूल्हे की गुन-गुन में
पत्नी है गुमसुम
दूरदर्शन के नाटक में रमा
थका-माँदा गाँव
ताज़ा दम होने की कोशिश में.
बस माँ नहीं थकी
उसकी सोच नहीं थकी
टँग गई हैं उसकी आँखे
विगत
और आगत के छोरों पर
टँगी रहेंगी.
पौ फटने तक.