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सूरजमुखी का फूल / एकांत श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
फिर आ गए है फूल सूरजमुखी के
भोर के गुलाबी आईने में झाँकते
चीन्हते
जानी-पहचानी धरती
जैसे द्वार पर पहुँचे हुए पाहुन
वे आ गये हैं
इस बार भी
अपने समय पर
जब सिर्फ सूचनाएँ आ रही हैं हत्या की
बाढ़, अकाल और
महामारी में मरने वाले लोगों की
देखते-देखते एक बसे बसाए शहर के
धुएँ और राख में बदलने की
ऐसे दुर्गम समय में
आ गए हैं
फूल सूरजमुखी के।