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सृजन / गुल मकई / हेमन्त देवलेकर

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कोरा काग़ज़ मुझे ललचाता है
हाथों में एक जुंबिश-सी मचलती है
और दाहिना हाथ ‘स्पाइडर मैन’ की
चमत्कारी ख़ूबी से भर उठता है
अक्षरों का जाल निकलकर
काग़ज़ को गिरफ़्त में लेता है
मैं अपनी संवेदना की लार पर
याने एक अदृश्य तार पर
झूलता हुआ दुनिया तक पहुँचता हूँ।