से कहलक बदरी / मन्त्रेश्वर झा
गाम बड्ड प्रगति कऽ गेल ‘ए’ आब
जन मजदूर नहि भेटैत छैक
महिस गाय रखने छी
तऽ अपने चराउ, काटू घास
बिला गेलाह जे छलाह
कहियो मालिक बाबू
सभक कमौआ पूत चल गेलै परदेस
दिल्ली कि मुंबइ
जतऽ ततऽ करय मजदूरी
परदेस मे सभ किछु छै,
बिजली छै, नल मे बहैत छै पानि
अस्पताल छै, सिलेमा छै
रंग विरंगक तमाशा छै
धनिक बनबाक आशा छै
गाम मे की छै?
साँप आ छुछुन्नर
छीना-झपटी, गुटबन्दी
गाममे लोक पुछैत छै जाति
क्यो कहबैत अछि छिनार
क्यो बनि जाइत अछि डाइन
के करत खेती, कोना रोपब धान
ने कदबा केनिहार जन भेटत
ने कटनी केनिहार मजदूर
बचल-खुचल गरीबहा कटैत अछि काहि
एपीएल बीपीएल आ खरातक कोरबाहि
मर्द हेताह से करताह जिरात
बटेदारीमे भऽ रहल छैक घाटा
कतऽ सँ करत बटेदार खेतीक ओतेक खर्चा
ने भेटत नीक दूध
माछो भेटब सदिखन दुर्लभ, भेटबो करत तऽ दरभंगा
पटना सँ महग
मुदा सभटा होइतो चल आयल बदरी गाम
करय मजूरी, चल आयल मुंबइ सँ
करैत छल सेठक ओहिठाम नोकरी
तीन हजार दरमाहा, खाना पीना, लता कपड़ा
इनाम बक्सीस
दोकान दोइरीक बाइली।
बड्ड गुनी अछि बदरी
करैत छल सेठ सेठानी के मालिस
टुटलो हाथ पयर के जोड़ैत छल मालिस सँ
ओकर मालिस सँ
छुटैत छलैक बातरस
हवा भऽ जाइत छलैक लकबा
एक बेर सेठक तेहन मालिस केलक
जे छुटि गेलैक मालिक के जन्मजात डांड़क दर्द
भऽ गेलैक, टांग सोझ
सेठ ततेक ने खुश भेलैक जे देलकै
ओकरा तीस हजारक बक्सीस
से कहलक बदरी।
सेठानी ओकरा मालिसक
तेल बनेबाक सिखा देलकै रहस्य
कोन कोन जड़ी बूटी मिलाय करू तेल मे
ओकरा आगि पर पकबैत अछि बदरी
ठंढ़ा भेला पर शीशी मे करैत अछि बन्द
एक तऽ मालिसक ओकर इलम
आ दोसर अपन बनाओल तेल
सौंसे परोपट्टामे भऽ गेल चर्चित
बजाओल जाइत अछि बदरी।
भरि गाम मे बचल तीन चारि टा
मजदूरमे सभसँ काबिल अछि बदरी
चारि बजे तक मजदूरी करैत अछि
तकरा बाद करैत अछि
मालिसक धंधा
मुदा मंबइ बला बात
गाम घर मे कहाँ
से कहलक बदरी।
दू मासक लकबा पीड़ित चन्दू
बाबूक केलियनि मालिस
ठाढ़ कऽ के चला देलियनि हुनका
मुदा कथीले देताह पांचो टाका
गुनी लोकक पहिचान छै
मुंबइ मे कि दिल्ली मे
गाम मे तऽ सभ धान बाइ पसेरी
तैयो बदरी रहत आब गामे
बेटा सभ तऽ परदेस कमाइते छै
गाम मे रखने अछि गाय आ बकरी
अन्हरी कनिया छै, विधवा भाउज छै
कतबो किछु हो, गामक लोक गामेक लोक होइ छै
से कहलक बदरी।