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सेतु / बालकृष्ण काबरा ’एतेश’ / ओक्ताविओ पाज़
Kavita Kosh से
वर्तमान और वर्तमान के बीच
मैं हूँ और तुम हो के बीच
यह शब्द सेतु ।
इसमें प्रवेश करते हुए
तुम प्रवेश करते हो ख़ुद के भीतर :
दुनिया जुड़ती है
जुड़कर हो जाती है एक गोल छल्ले की तरह।
एक किनारे से दूसरे तक
है हमेशा
एक देह तनी हुई :
एक इन्द्रधनुष।
मैं सोऊँगा इसके मेहराब के नीचे।
अँग्रेज़ी से अनुवाद : बालकृष्ण काबरा ’एतेश’