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सेब / दिनेश्वर प्रसाद
Kavita Kosh से
मैंने देखे सेब
हरे ललौंहे लाल
सेब
देखे, सिर्फ़ देखा किया
चखने की प्रतीक्षा में
हरे ललौंहे लाल
सेब
सड़ गये ।
(जनवरी 1966)