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सेमडू की नाक आई / हेमन्त देवलेकर

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हरा-हरा-सा
गाढ़ा-गाढ़ा
ठंड़ा-ठंड़ा
खारा-खारा
मक्खन का रेला।

निकल आता
पिटारे से बाहर
सर्दी का
ताजा-ताजा
झौल-झमेला।

“सुडुर-सुडुर”
है पूंगी बजती
थोडा सा चख लेता
फिर अंदर
सटका देता गेला।

हरा-हरा-सा
गाढ़ा-गाढ़ा
ठंड़ा-ठंड़ा
खारा-खारा
मक्खन का रेला।