भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

सेल्फी का यहु रोगु / प्रदीप शुक्ल

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

नवा रोगु यहु
सेल्फी वाला
खुब फलि फूलि रहा
द्याखौ बरसाती नदिया मा
फिरि लरिकवा बहा

सेल्फी मतलब
हमही हम हन
अउर न कउनो दूजा
हमरे नथुना बाघ सरीखे
तुम पंचै सब चूजा

कबौ कबौ सेल्फी मा द्याखै
हमका बैलु मरकहा

काका कै
सेल्फी जग जाहिरि
वई रोगु फईलाईनि
तब ते सेल्फी के चक्कर मा
केतने जान गवाँईनि

मन की बात म ब्वालौ काका
सुनैं तुम्हार कहा

रोजु मरैं
सेल्फी ते बीसन
डेंगू ते दुई चारि
सेल्फी का टीका डेंगू ते
पहिले लेव निकारि

तुमही आगि लगायो काका
तुमहि करौ मिनहा