सेवादार / देवी प्रसाद मिश्र
इस लड़की ने जो कार में बैठी थी
सेवा का व्रत उठा रखा था शुरू से ही उसमें सेवा
का भाव था जिसे देखते हुए माता-पिता ने उसे
दिल्ली युनिवर्सिटी से सोशल वर्क में एमए करवा दिया
जबकि उसने एमफ़िल इस विषय पर किया कि हरियाणा में
लड़कियाँ कम क्यों हो रही हैं
संजीवनी सूरी कार में बैठी थी
और उसके सर उसे छोड़ने आए थे
मीटिंग के बाद काफ़ी देर हो गई थी इसलिए
जीके टू में एक घर के सामने कार रुकी तो
सर ने कहा कि अभी १० लाख के पैकेज पर
काम शुरू करो बाद में देख लेंगे संजीवनी ने कहा
सर वैसे तो ठीक है लेकिन थोड़ा कम है सर ने हँसते
हुए कहा कि थोड़ा कम तो हमेशा रहना चाहिए
संजीवनी ने कहा कि सर घर के अन्दर आइए
मम्मी से मिलिए l पापा के जाने के बाद
शी इज़ डेड अलोन l सर ने कहा ओह l
बट कीप इट द नेक्स्ट टाइम l संजीवनी ने कहा कि
सर आप अन्दर नहीं आ रहे तो मेरे कुत्ते से
ज़रूर मिल लीजिए l शी इज़ जर्मन शेपर्ड l प्लीज़ सर l
सर ने कहा कि वे ज़रूर किसी दिन आएँगे l फिर उन्होंने संजीवनी को याद
दिलाया कि वह खरिआर - हाउ टेरिबल द प्रननसिएशन इज़ – खरिआर ज़िले
के दस गाँवों की स्त्रियों की महीने की औसत
मज़दूरी पर रिपोर्ट तैयार कर ले संजीवनी ने आह भर कर कहा कि
सर एक औरत को औसत महीने में तेरह रुपए मिलते हैं –
एक दिन में चालीस पैसे
सर ने कहा कि हम क्या कर सकते हैं रिपोर्ट ही
दे सकते हैं और जब तक वो नहीं दी जाती
वर्ल्ड बैंक से अगले छियासठ लाख रिलीज़ नहीं होने वाले
कर दूँगी, सर, कर दूँगी कहते हुए सँजीवनी कुत्ते से लिपट गई
और सर चले गए। सिली गर्ल, यू आर सच अ रैविशिंग स्टफ़ जैसी कोई बात
कहते हुए, जो अगर सुन ली जाती
तो संजीवनी सूरी क्यों है इतनी दूरी जैसी घोर स्त्री विरोधी बात कहने के लिए
स्त्रियों के लिए काम करने वाली उनकी संस्था को मिलने वाली सालाना तीन
करोड़ की यूरोपीय ग्राण्ट बन्द हो जाती।