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सोचते तो होगें भगवान भी / मुकेश नेमा
Kavita Kosh से
है अचभिंत ईश्वर!
खूब अपमानित
शर्मिंदा भी संभवत:
उसके ऊँचे मंदिर
खडे जो है नींव पर
डर और प्रलोभन की
अघाये हुयो ने
जन्मा है ईश्वर,
चाहते है प्रतिदान
अपने धतरकरमो के
परिमार्जन के अभिलाषी
अपनी छवि के
गलत प्रस्तुतिकरण से
डरा चिंतित भगवान
चाहता है कि रूकें,
कोलाहल भरी
आरतियाँ लालची
कह सकेगा
तभी तो वह
वह जो भी है,
मैंल साफ करने वाली
वाशिंग मशीन
या एटीएम किसी बैंक का
कतई नहीं है वो