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सोन चिरैया (कविता) / मृदुला शुक्ला

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सोन चिरैया, सोन चिरैया
हमरोॅ घर में सोन चिरैया

सुखलोॅ धरती, भुखलोॅ खेत
सुखलोॅ नद्दीपत्थल रेत
उमड़ी-घुमड़ी बरसै मेघ
भरलै सब ठो ताल-तलैया
सोन चिरैया, सोन चिरैया!

बाग-बगीचा सूनोॅ ऐंगन
भिंजलोॅ आँख, तरसलोॅ जीवन
तिरपित आय पगलैलोॅ मन
चललै थुबुक-थुबुक चलबैया
सोन चिरैया, सोन चिरैया।

कूकै कोयल, नाँचे मोर
देखोॅ-देखोॅ मचालै शोर
गैतें-हँसतें ऐलै भोर
देखी, नाँचै कुँवर कन्हैया
सोन चिरैया, सोन चिरैया।

ठोर गुलाबी, कारोॅ चूल
गोरोॅ मुखड़ा-उजरोॅ फूल
नूनू बूलै-लगलै धूल
दूध पिलैतै आबी गैया
सोन चिरैया, सोन चिरैया।