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सोनार बंगाल / समर सेन
Kavita Kosh से
मुझे दिखाई देता है इस विशिष्ट शहर में
एक विलक्षण दृश्य :
हर जगह विदेशी सैनिक,
कवियों और नवयुवकों ने अपना लिए हैं
भिन्न रंग ।
अन्तर्राष्ट्रीय संघर्ष के कारण
दुनिया एक हो गई है ।
क्या जादू के द्वारा प्रगति सम्भव है?
इस देश के सोचने का ढंग पूरी तरह बदल गया है ।
मुझे दिखाई देते हैं
सोनार बंगाल के इस शहर में,
यहाँ के नागरिक,
भिखारी और नरकंकाल,
भोजन की खोज में साथ-साथ ।
मूल बंगला भाषा से अनुवाद :