स्त्री / तेमसुला आओ / श्रुति व माधवेन्द्र
प्रकृति ने ढाला उसे कुछ इस तरह
ढो सके भार
धारण करे बीज
करे हरएक की इच्छा पूरी
छोड़ सिर्फ़ अपनी ।
काल ने निर्धारित किए उसके काम
और रिवाज हावी रहे
तब भी जब वह रोई और चिल्लाई
प्रतिरोध में ।
पुरुष ने फुसलाया उसे
अधीनता में
इस तरह स्थापित किया
कालहीन वर्चस्व
वह लूटता रहा इस बीच आवारगी में
धर्म ने पवित्रता प्रदान की
जड़ताओं ने दृढ़ किया
माँ व प्रेमिका के
लाभकारी साँचों में
विकसा भार पशु ।
परन्तु स्त्री
इस तरह ढाली गई
ऐसे कुचली गई
फुसलाई और छली गई
कभी विद्रोहिणी बन
तोड़ना चाहा साँचा
और आदमी रहा अतत्पर
तो स्त्री ने
ऐसे विलगाव निर्मित किए
आदमी और परम्पराओं की अवज्ञा के लिए
वोडिसिआ और गोडिवा
क्लितेमनेस्ट्रा और क्लिओपित्रा
मेदिया और बोर्गिया
इत्यादि, इत्यादि ...
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अँग्रेज़ी भाषा से अनुवाद : श्रुति व यादवेन्द्र