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स्मृति / रामनरेश त्रिपाठी

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सोइ श्याम जल आज उज्ज्वल करत मन,
सोई कूल सोइ जमुना की मंदगति है।
सोइ बन-भूमि सोइ सुंदर करील-कुंज,
वैसियै पवन आनि उर मैं लगति है॥
श्याम को सदन बृंदाबन को विलोकि आज,
आँखिन में जोति कछु औरइ जगति है।
यहीं कहूँ कान्ह काहू भेस में लखत ह्वै हैं,
भुज भरि भेंटिबे को छाती उमगति है॥


वृंदावन में लिखित