स्वगत: जनान्तिक / सुरेन्द्र झा ‘सुमन’
संस्कृति गंगा, कालिन्दी हिन्दी, मासिक रस मूल
जतहि नहयलहुँ सरस्वती मैथिली ‘त्रिवेणी’ कूल
प्रतिसप्ताह ‘ग्राम वार्ता’ ‘साधना’ दैनिकहु खेल
पत्रकार-जीवनक भूमिका प्रस्तुत तहिए भेल
विद्यापति चंदाक कनक नहि पद कन भुवन पिताक
ताजमहल रजघाटक फूल न धूल ग्राम जनताक
अणु खंडहिमे अछि अखंडहिक शक्ति विद्यु दुद्योत
कवि उर-पट रवि छवि अंकित नित, निज पर किछु न इरोत
आङन अपनहि गंगा यमुना वृज रज अपन दलान
देव-भूप युत देव देवकीनन्दन हृदय न आन
कर्मक कान्ति प्रखर जय विन्दक राजकुमार रमेश
सूर्य दिनेश, भारती वीणा पूर्णिम राज निवेश
मैथिलीक बल गृह लक्ष्मी ऊषा आशाक जयन्ती
जय उद्दीप्त प्रदीप जीवनक साँझहु सुधा स्रवन्ती
सन्तति तति अनन्त अरविन्दहु सौरभ भरित प्रमाने
यादव-माधव अमर हरि गुणहु शैलहु अवनि समाने
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कन-कन अपन भूमि-धरती केँ पुजइत मन सम्मान
आइ सपुन पुनि पूजि रहल छी देश अखंड प्रमान