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स्वागत / पद्मजा बाजपेयी
Kavita Kosh से
नव वर्ष! स्वागत तुम्हारा,
पर देखो बीते पिछले वर्ष की तरह
निराश न करना, हर्ष के बदले
आँसुओ का सागर मत उंडेल देना।
अगर तुम्हें आने में भय हो तो सुनो,
वहीं रुक जाना, पाँव मत बढ़ाना।
आना तो थोड़ी खुशियाँ ज़रूर लाना, अवश्य लाना।