भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

स्वागतम्-सुस्वागतम् / सच्चिदानंद प्रेमी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

स्वागतम्-सुस्वागतम्।
बसंत का है आगमन,

भरी धरा भरा गगन,
बसन्त का है आगमन,
बिखर गई घनी तमा,
पसर गई हरीतिमा,
धरा नवल श्रृंगार ले,
मनोज के गले मिले,
कलि खिली खिले सुमन,
बसंत का है आगमन।
हेमवंत सुपग हिले,
फाग राग गले मिले,
मदन-सर संधान से,
कुमारियों के मन चले,
उलझ रहे भरे सु-मन,
बसंत का है आगमन।
चलो उसे श्रृंगार दें,
प्यार भी अपार दें,
झुलस रहे मृदुल बदन,
सुलग रहे मन ही मन,
खिले चमन खुले भवन
बसन्त का है आगमन।

शुक्र धार हाथ ले,
काम शास्त्र साथ ले,
नगर-डगर गली वाग;
कूक उठी फाग राग,
पड़े कान मदन राग,
यमन-रमण-नगन-तगन
बसंत का है आगमन।