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स्वीकारोक्ति / होदा एल्बन
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कई बार
रात के बीचो-बीच
फूट-फूट पड़ती है
मेरी रुलाई...
फिर
अपने आँसुओं को
मना कर
भेजती हूँ वापस
उन्हीं से
आज जगमग है
ये दुनिया
और
बुझ पाई है
मेरी धधक भी...
अंग्रेज़ी से अनुवाद : यादवेन्द्र