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हँसो मुस्कुराओ / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
बहुत देर चुप थे, जरा गुनगुनाओ।
अरे भाई थोडा हँसो मुस्कुराओ।
लगातार पापा ये चुप्पी बुरी है।
ये हँसाना-हँसाना असल ज़िन्दगी है।
मुखड़े पर अपने सितारे सजाओ।
अरे भाई थोडा हँसो मुस्कुराओ।
मम्मी भी गुमसुम हैं बैठीं उदासी।
रखा ढेर पानी मगर फिर भी प्यासी।
उठो शीघ्र खुशियोँ की गंगा नहाओ।
अरे भाई थोडा हँसो मुस्कुराओ।
ये मस्ती के बादल ये खुशियों की बूँदें,
इन्हें गुदगुदाओ ये पल भर में चूँ दें।
हैं सिर पर तुम्हारे पकड़ के तो लाओ।
अरे भाई थोडा हँसो मुस्कुराओ।
पूजा के कमरे में घंटी की टुनटुन।
दादी का दादा का कंचन-सा है मन।
जरा उनसे जाकर दुआएँ तो पाओ।
अरे भाई थोडा हँसो मुस्कुराओ।