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हंसना-रोना / अशोक चक्रधर
Kavita Kosh से
जो रोया
सो आंसुओं के
दलदल में
धंस गया,
और कहते हैं,
जो हंस गया
वो फंस गया
अगर फंस गया,
तो मुहावरा
आगे बढ़ता है
कि जो हंस गया,
उसका घर बस गया।
मुहावरा फिर आगे बढ़ता है
जिसका घर बस गया,
वो फंस गया !
....और जो फंस गया,
वो फिर से
आंसुओं के दलदल में
धंस गया !!